उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत एक नई योजना की शुरुआत हुई है, जिसे ‘सूर्यसखी मिशन’ कहा जा रहा है। इस योजना का मकसद है – गांवों में महिलाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना और सोलर उपकरणों की देखभाल की जिम्मेदारी देना। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ‘सूर्यसखी’ नाम दिया गया है। इन महिलाओं को छह दिन का विशेष तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें उन्हें सोलर पैनल, स्ट्रीट लाइट और अन्य उपकरणों की मरम्मत और देखभाल करना सिखाया जाएगा। यह प्रशिक्षण यूपी नेडा (Uttar Pradesh New and Renewable Energy Development Agency) के माध्यम से कराया जा रहा है।

प्रशिक्षण के बाद कैसे होगी कमाई
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सूर्यसखी गांवों की ग्राम पंचायतों, सचिवालय भवनों और अन्य सरकारी परिसरों में लगे सोलर उपकरणों का रखरखाव करेंगी। इस सेवा के बदले उन्हें उत्पाद की कुल लागत का 2.5% कमीशन यानी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी स्थान पर ₹1 लाख का सोलर सिस्टम लगा है तो सूर्यसखी को ₹2,500 तक की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। यह राशि उपकरणों के खराब होने और उसकी मरम्मत करने के आधार पर मिलती रहेगी। हालांकि अगर उपकरण खराब नहीं होते, तो भी रखरखाव के नाम पर सूर्यसखी को यह कमीशन मिलता रहेगा जिससे उनकी आय सुनिश्चित होगी।
जिले की हर पंचायत में चुनी जाएगी एक सूर्यसखी
योजना के अनुसार जिले की हर ग्राम पंचायत से एक महिला का चयन सूर्यसखी के रूप में किया जाएगा। आजमगढ़ जिले में कुल 1811 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से अब तक 568 पंचायतों की महिलाओं का चयन कर लिया गया है। बाकी पंचायतों में चयन की प्रक्रिया जारी है। चयन के लिए कुछ जरूरी शर्तें तय की गई हैं – महिला की उम्र 40 साल से कम होनी चाहिए और वह विवाहित हो। साथ ही वह महिला एनआरएलएम के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी होनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि चयनित महिलाएं न केवल तकनीकी काम में रुचि लें, बल्कि गांव में रहकर ही लंबे समय तक सेवा दे सकें।
गांव में सोलर तकनीक और महिलाओं को नई पहचान
यह योजना दो तरह से बदलाव ला रही है एक तो गांवों में लगे सोलर उपकरणों का समय पर रखरखाव हो पाएगा जिससे बिजली संबंधी समस्याएं नहीं होंगी और दूसरी ओर महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है। अब तक पुरुषों के क्षेत्र माने जाने वाले सोलर टेक्नोलॉजी में महिलाएं भी आगे आ रही हैं। यह न केवल आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर एक मजबूत कदम है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दे रहा है। रामउदरेज यादव, जो एनआरएलएम के प्रभारी हैं, उन्होंने बताया कि इस योजना से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे अपने गांव में ही अच्छी कमाई कर सकेंगी।