Wind-Powered Cleaning Tech: बिना बिजली, बिना पानी! हवा से खुद को साफ करेंगे सोलर पैनल, 96% तक बढ़ेगी एफिशिएंसी

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | July 22, 2025

सोलर पैनल से ज्यादा से ज्यादा बिजली निकालना तभी संभव है जब वो पूरी तरह साफ हो। लेकिन धूल और मिट्टी के कारण अक्सर उनकी एफिशिएंसी कम हो जाती है, खासकर रेगिस्तानी इलाकों या उन जगहों पर जहां सफाई कर पाना मुश्किल होता है। अब इस समस्या का हल खोज निकाला है Daegu Gyeongbuk Institute of Science & Technology (DGIST) और Samsung Electronics की एक जॉइंट टीम ने। उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो बिना बिजली और बिना पानी के सिर्फ हवा की ताकत से सोलर पैनल को साफ कर देती है। इससे न सिर्फ बिजली उत्पादन बढ़ेगा बल्कि रखरखाव की लागत भी कम हो जाएगी।

Wind-Powered Cleaning Tech

हवा से चलने वाला यह सिस्टम कैसे करता है काम?

इस सिस्टम की खासियत है कि इसे किसी बाहरी पावर सप्लाई की जरूरत नहीं होती है। इसमें उपयोग हुआ है एक खास तरह के विंड-पावर्ड रोटेशनल ट्राइबोइलेक्ट्रिक नैनो जनरेटर का, जो हवा से एनर्जी प्राप्त करता है और उसे इलेक्ट्रोडायनामिक स्क्रीन (EDS) को देता है। यह स्क्रीन इलेक्ट्रिक फील्ड के जरिए पैनल पर जमी धूल को हटा देती है। पुराने सिस्टम में एक बड़ी समस्या यह थी कि वे पैनल के एंगल पर निर्भर होते थे और केवल सिंगल फेज में काम करते थे। लेकिन इस नई तीन-फेज़ प्रणाली में धूल को एक खास दिशा में हटाया जाता है, जिससे क्लीनिंग ज्यादा नियंत्रित और प्रभावी हो जाती है।

सोलर पैनल की परफॉर्मेंस में जबरदस्त सुधार

DGIST और Samsung की टीम द्वारा किए गए परीक्षणों में पाया गया कि यह सिस्टम 1,383 वोल्ट तक की वोल्टेज उत्पन्न कर सकता है और करीब 83.48% डस्ट रिमूवल एफिशिएंसी देता है। यह पुराने सिंगल-फेज़ मॉडल से लगभग 1.6 गुना अधिक असरदार है। जब इसे सोलर पैनल पर लागू किया गया तो उन्होंने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता को 96% तक दोबारा हासिल कर लिया। इसका मतलब है कि धूल से ढके पैनल, जो पहले कम बिजली दे रहे थे, अब लगभग अपनी पूरी क्षमता से बिजली देने लगे। बिना किसी मेंटेनेंस खर्च के, यह तकनीक पैनल की परफॉर्मेंस को लंबे समय तक बेहतर बनाए रख सकती है।

पानी और बिजली की बचत, मेंटेनेंस में राहत

यह तकनीक खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए वरदान है जहां सफाई कर पाना मुश्किल है—जैसे रेगिस्तान, पहाड़ी इलाके, सुदूर गांव, या यहां तक कि अंतरिक्ष। आमतौर पर वहां सफाई के लिए या तो मैनपावर की जरूरत होती है या महंगे रोबोट्स की। लेकिन यह विंड-पावर्ड क्लीनिंग सिस्टम पूरी तरह से आत्मनिर्भर है और किसी भी प्रकार की बाहरी बिजली या पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। यह सोलर पैनल की लाइफ को भी बढ़ाता है क्योंकि बार-बार पानी या मैन्युअल सफाई से पैनल की सतह पर असर पड़ सकता है। अब हवा ही सफाई करेगी, वो भी बिना किसी खर्च के।

भविष्य की सोलर टेक्नोलॉजी की एक झलक

इस इनोवेशन को केवल एक तकनीकी खोज न मानें, बल्कि इसे भविष्य की सोलर टेक्नोलॉजी की दिशा में एक बड़ा कदम कहा जा सकता है। जैसे-जैसे दुनिया भर में सोलर इंस्टॉलेशन की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनकी देखरेख भी एक चुनौती बनती जा रही है। यह नई तकनीक उन सभी समस्याओं का समाधान किफायती, स्मार्ट और इको-फ्रेंडली तरीके सेक्ष देती है। Samsung और DGIST की यह साझेदारी एक उदाहरण है कि किस तरह वैज्ञानिक सोच और टेक्नोलॉजी मिलकर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। आने वाले समय में यह सिस्टम उन इलाकों में सबसे ज्यादा देखने को मिल सकता है जहां पानी की किल्लत है या जहां सफाई कर पाना मुश्किल है। हवा से साफ होते पैनल अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुके हैं।

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