त्रिपुरा ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गैस की कमी से जूझ रही अपनी बिजली व्यवस्था को बचाने का नया रास्ता खोज लिया है। राज्य सरकार ने 2,000 सरकारी इमारतों की छत पर सोलर पैनल लगाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिससे लगभग 70 मेगावाट क्लीन एनर्जी पैदा होगी। यह पहल ऐसे समय में आई है जब प्राकृतिक गैस की सप्लाई लगातार घट रही है और गैस से चलने वाले पावर प्लांट्स मुश्किल में हैं। इस नई पहल से न केवल बिजली की कमी पूरी होगी, बल्कि राज्य को ग्रीन एनर्जी का हब बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठेगा।

त्रिपुरा की नई सोलर योजना का ब्लूप्रिंट
त्रिपुरा रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (TREDA) इस पूरे प्रोजेक्ट को लीड कर रही है। शुरुआती चरण में करीब 10.50 मेगावाट पावर जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए टेंडर की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। यह राज्य की सोलर जर्नी में नया मील का पत्थर है क्योंकि सिर्फ सात साल पहले जहां त्रिपुरा की सोलर क्षमता महज 3 मेगावाट थी, वहीं अब यह बढ़कर 26 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। 2,000 बिल्डिंग पर सोलर पैनल लगाने के बाद यह क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और राज्य अपनी बिजली जरूरतों का बड़ा हिस्सा खुद क्लीन एनर्जी से पूरा कर पाएगा।
रोजगार और स्किल डेवलपमेंट को भी मिलेगा बढ़ावा
यह योजना सिर्फ बिजली पैदा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए युवाओं के लिए रोजगार का नया रास्ता भी खुलेगा। TREDA स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर स्थानीय युवाओं को तकनीशियन और सुपरवाइज़र के तौर पर ट्रेनिंग दे रही है, ताकि वे सोलर इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस का काम कर सकें। इसका सीधा फायदा यह होगा कि राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की एक नई पीढ़ी तैयार होगी।
ग्रीन एनर्जी से आत्मनिर्भरता की ओर
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह योजना सफल होती है तो त्रिपुरा न केवल अपनी बिजली की समस्या से निजात पाएगा बल्कि क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में देश के बाकी राज्यों के लिए रोल मॉडल भी बन सकता है। आज जहां दुनिया फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता घटाकर क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, वहीं त्रिपुरा का यह कदम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी अहम साबित होगा। आने वाले समय में अगर इसी रफ्तार से काम हुआ तो त्रिपुरा ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ेगा।
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