Quantum dots बेहद छोटे सेमीकंडक्टर नैनोपार्टिकल्स होते हैं, जो बाल से भी हजार गुना छोटे होते हैं। इनकी खासियत यह है कि ये खास वेवलेंथ की रोशनी को सोखकर उसे अधिक एफिशिएंसी से दोबारा उत्सर्जित कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि सोलर पैनल में आने वाली हर एक किरण का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। पहले यह तकनीक सिर्फ हाई-डेफिनिशन टीवी और मेडिकल उपकरणों तक सीमित थी, लेकिन अब इसका इस्तेमाल सोलर पैनल में किया जाने वाला है, जिससे बिजली उत्पादन में क्रांतिकारी बढ़ोतरी संभव है।

First Solar और UbiQD की बड़ी साझेदारी
अमेरिका की सबसे बड़ी सोलर पैनल निर्माता कंपनी First Solar ने नैनोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप UbiQD के साथ हाथ मिलाया है। यह स्टार्टअप MIT और Los Alamos National Laboratory की रिसर्च से निकला है और इसने एक स्केलेबल तरीका विकसित किया है जिससे Quantum dots को सोलर पैनल के encapsulants में शामिल किया जा सके। ये encapsulants एक तरह की स्मार्ट वार्निश लेयर होती हैं जो पैनल के पीछे से आने वाली परावर्तित रोशनी को भी कैप्चर कर बिजली में बदल देती हैं। इससे पहले जो रोशनी बर्बाद हो जाती थी, वह भी अब उपयोग में आ सकेगी।
कितना बड़ा होगा इसका असर
Quantum dots को पैनल के नीचे पेंट की तरह लगाया जाएगा, खासतौर पर bifacial पैनल में, जो आगे और पीछे दोनों से बिजली बनाते हैं। First Solar और UbiQD सालाना 100 मेट्रिक टन Quantum dots बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं, जो सोलर इंडस्ट्री से भी बड़ा आंकड़ा है। First Solar के CTO Markus Gloeckler के अनुसार, बिफेशियल पैनल की एफिशिएंसी में छोटा सा सुधार भी बड़े स्तर पर जबरदस्त असर डाल सकता है और अगर कुछ वेवलेंथ पर आउटपुट डबल हो जाए तो इसका असर कल्पना से भी परे होगा। यह तकनीक 2026 से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए तैयार होगी और इससे कम स्पेस में ज्यादा बिजली उत्पादन संभव होगा।
ग्लोबल पावर गेम में बदलाव
अभी चीन सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग में सबसे आगे है, लेकिन Quantum dots तकनीक से अमेरिका को फिर से बढ़त मिल सकती है। First Solar पहले से ही ओहायो, अलबामा और लुइसियाना में बड़े सोलर प्लांट चला रहा है और इस नई तकनीक के साथ यह 15 मिलियन से ज्यादा घरों को बिजली सप्लाई करने में सक्षम हो सकता है। यूरोप में भी सोलर एनर्जी अपनाने की रफ्तार तेज है और पहली बार यूरोपियन यूनियन में सोलर एनर्जी ने सभी अन्य स्रोतों को पीछे छोड़ दिया है। यह साबित करता है कि भविष्य की एनर्जी सिर्फ बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर से नहीं, बल्कि स्मार्ट साइंस और माइक्रो इनोवेशन से भी आ सकती है और Quantum dots इसका बेहतरीन उदाहरण हैं।
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