Quantum Dot Solar Panel एक नई क्रांति लेकर आया है, जहां अब सोलर पैनल केवल सामने से ही नहीं बल्कि पीछे से भी धूप को सोखकर बिजली बना सकता है। इसे “Reflection Symphony” कहा जा रहा है, क्योंकि यह पैनल सामने की सीधी धूप के साथ-साथ ज़मीन या आसपास की सतह से रिफ्लेक्ट होने वाली रोशनी को भी कैप्चर करता है। यह कमाल संभव हुआ है Quantum Dot तकनीक की मदद से, जिसे अब तक ज्यादातर डिस्प्ले स्क्रीन या ग्रीनहाउस तकनीक में ही इस्तेमाल किया जाता था। अब इस तकनीक ने सोलर इंडस्ट्री में भी एंट्री कर ली है और इसमें साझेदारी की है UbiQD और First Solar ने।

Quantum Dot तकनीक क्या है और यह कैसे काम करती है?
Quantum Dots बेहद छोटे नैनोमीटर आकार के सेमीकंडक्टर होते हैं, जो आने वाली रोशनी को सोखकर उसे उस wavelength में बदलते हैं जिसे सोलर सेल बेहतर तरीके से सोख सके। आमतौर पर पारंपरिक सोलर पैनल ऐसी कई रोशनी को खो देते हैं जो उन्हें लाभ नहीं देती है लेकिन Quantum Dot टेक्नोलॉजी उस रोशनी को भी उपयोग में ले आती है। खास बात यह है कि UbiQD की Quantum Dot तकनीक पूरी तरह कैडमियम-फ्री है और इसमें पर्यावरण के अनुकूल सामग्री जैसे कॉपर, जिंक और सल्फर का इस्तेमाल होता है। यह तकनीक फोटोवोल्टिक सेल तक पहुंचने से पहले ही incoming light से रिएक्ट कर जाती है और उसे सोलर सेल के अनुकूल बनाती है।
First Solar का नया कदम और डबल साइडेड पैनल की शुरुआत
पहले तक First Solar के पैनल एक ही तरफ से काम करते थे, लेकिन अब उनकी नई Series 6 मॉड्यूल्स में Quantum Dot तकनीक जोड़ दी गई है। इन मॉड्यूल्स में CdTe (Cadmium Telluride) मैटेरियल के साथ बाईफेशियल डिजाइन है, जो पैनल को दोनों तरफ से धूप कैप्चर करने की क्षमता देता है। इसका मतलब यह हुआ कि अब न केवल सीधी धूप बल्कि पीछे से आने वाली रिफ्लेक्टेड लाइट से भी बिजली बनेगी। Quantum Dot तकनीक की मदद से efficiency 30% तक बढ़ाई जा सकती है, और यह पैनल लगभग 30 साल तक चल सकते हैं। यह न केवल तकनीकी उन्नति है, बल्कि सोलर सिस्टम को और भी अधिक लाभकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
लागत में कमी और उत्पादन में बढ़ोतरी
इस तकनीक की सबसे खास बात है कि यह कम लागत में ज्यादा बिजली उत्पादन की क्षमता देती है। UbiQD को हाल ही में $20 मिलियन की Series B फंडिंग मिली है जिससे वे न्यू मैक्सिको में Quantum Dots का बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाली फैक्ट्री शुरू कर रहे हैं। यह फैक्ट्री हर साल 100 मीट्रिक टन Quantum Dots बनाएगी। इसका मतलब यह है कि यह तकनीक अब केवल प्रयोगशालाओं या रिसर्च तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बड़े स्तर पर कमर्शियल सोलर प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल की जाएगी। यह स्केलेबिलिटी इस तकनीक को भविष्य में और अधिक सुलभ और सस्ता बनाएगी।
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