सरकार अब पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ सोलर मिशन को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। अगले 10 दिनों के भीतर Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) द्वारा ALMM-II यानी ‘Approved List of Models and Manufacturers – II’ जारी की जाएगी। यह लिस्ट विशेष रूप से solar cells के लिए होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में बनने वाले सोलर सेल्स को ही सरकारी और बड़े सोलर प्रोजेक्ट्स में प्राथमिकता मिले। इस कदम से विदेशी ब्रांड्स को बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि अगर वे इस लिस्ट में नहीं हुए तो उन्हें भारत में सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए सेल्स बेचने की अनुमति नहीं होगी।

ALMM-II लिस्ट से क्या बदल जाएगा?
ALMM-II लिस्ट का मुख्य उद्देश्य भारत में निर्मित सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स को प्राथमिकता देना है। अभी तक ALMM-I लिस्ट केवल सोलर मॉड्यूल्स तक सीमित थी, जो एक तरह से गैर-शुल्क बाधा (non-tariff barrier) बन चुकी है और इसने चीन जैसे देशों से आयात को रोकने में मदद की है। लेकिन अब ALMM-II के आने से यह बाध्यता सोलर सेल्स पर भी लागू हो जाएगी। यानी किसी भी सरकारी प्रोजेक्ट में केवल उन्हीं सेल्स का उपयोग किया जा सकेगा जो इस नई सूची में दर्ज होंगे। इससे चीन, वियतनाम और अन्य देशों से आने वाले सस्ते सोलर सेल्स का रास्ता लगभग बंद हो जाएगा।
क्यों रुकी थी ALMM-II की घोषणा अब तक?
दरअसल, ALMM-II को लागू करने में अब तक देरी इसलिए हुई थी क्योंकि भारत की सोलर सेल प्रोडक्शन कैपेसिटी अभी तक इतनी नहीं थी कि वह देश की पूरी मांग को पूरा कर सके। अगर इसे पहले लागू किया जाता, तो बड़े पैमाने पर चल रहे टेंडर्स और सोलर प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ता है। लेकिन अब सरकार को भरोसा है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां जैसे Vikram Solar, Waaree, RenewSys और Tata Power Solar इस बढ़ी हुई मांग को पूरा कर सकती हैं, इसलिए ALMM-II को लाने का सही समय आ गया है।
विदेशी कंपनियों में मची हलचल
जैसे ही यह खबर सामने आई कि सरकार अगले 10 दिनों में ALMM-II लाने जा रही है, वैसे ही विदेशी कंपनियों में खलबली मच गई है। कई ग्लोबल सोलर कंपनियां जो अब तक भारत में अपने प्रोडक्ट्स को आसानी से बेच रही थीं, अब उन्हें या तो भारत में यूनिट लगानी होगी या इस लिस्ट में जगह बनानी होगी। नहीं तो वे देश के सबसे बड़े सोलर मार्केट से बाहर हो जाएंगी। इससे साफ संकेत मिल रहा है कि भारत अब पूरी तरह से अपने घरेलू सोलर उद्योग पर भरोसा कर रहा है और उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है।
क्या होगा अगला कदम?
MNRE की तरफ से तय की गई डेडलाइन 9 दिसंबर 2024 है। यानी इस तारीख के बाद जिन प्रोजेक्ट्स की टेंडरिंग होगी, उनमें ALMM-II लिस्ट वाले सेल्स का उपयोग अनिवार्य होगा। इससे पहले कंपनियों को अपनी तैयारी पूरी करनी होगी। यह कदम न सिर्फ भारत के सोलर मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती देगा बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगा। आने वाले समय में भारत से सोलर प्रोडक्ट्स का निर्यात भी तेजी से बढ़ सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी सीधा फायदा मिलेगा।
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