मध्यप्रदेश में सोलर ऊर्जा के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने एक डिजिटल मास्टर प्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत घरों, खेतों और संस्थानों में लगे 1 लाख से ज्यादा सोलर सिस्टम को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाएगा। मप्र ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (MPUVNL) एक ऐसा डिजिटल सिस्टम विकसित कर रहा है, जिससे मोबाइल या कंप्यूटर पर सिर्फ एक क्लिक में यह पता चल जाएगा कि कौन सा सोलर चालू है और कौन सा बंद। इस अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म को तैयार करने में करीब एक साल का समय लगेगा और इसके बाद पूरा डेटा रियल टाइम में उपलब्ध होगा।

एक क्लिक में पूरी रिपोर्ट
केंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने सभी राज्यों को सोलर प्रोजेक्ट्स की निगरानी के लिए वेब-बेस्ड सिस्टम तैयार करने का निर्देश दिया है। यह सिस्टम स्काडा तकनीक (Supervisory Control and Data Acquisition) पर आधारित होगा, जो सोलर पंप, इन्वर्टर, एनर्जी मीटर जैसे उपकरणों की लाइव स्थिति दिखाएगा। जैसे ही कोई सोलर पंप या पैनल बंद होगा, सिस्टम तुरंत अलर्ट देगा। यहां तक कि यह भी रिकॉर्ड रहेगा कि एक महीने में कितनी बिजली बनी, कितने घंटे पंप चला, और कब उत्पादन रुका।
1.15 लाख सिस्टम जुड़ेंगे प्लेटफॉर्म से
इस योजना के तहत कुसुम-बी योजना के 1 लाख सोलर पंप, कुसुम-ए और कुसुम-सी योजना के 900 ग्रिड-कनेक्टेड प्लांट, प्रधानमंत्री जनमन योजना के 2,060 ऑफ-ग्रिड सिस्टम और 12,500 सोलर रूफटॉप सिस्टम को जोड़ा जाएगा। सभी डेटा JSON फॉर्मेट और Industrial IoT तकनीक के जरिए सुरक्षित तरीके से स्टोर होगा। डेटा को जिला, संभाग और विभागवार ऑटोमैटिक क्लासिफाई किया जाएगा, जिससे सरकारी नीतियां बनाने में आसानी होगी।
किसानों और सरकार को मिलेगा बड़ा फायदा
यह सिस्टम किसानों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि खराबी होते ही मोबाइल ऐप पर नोटिफिकेशन मिलेगा, जिससे तुरंत मरम्मत हो सकेगी। सरकार को फर्जी सब्सिडी और निष्क्रिय सिस्टम की पहचान करने में मदद मिलेगी। पारदर्शिता बढ़ने से हर गतिविधि रिकॉर्ड होगी और लाखों रुपये की बचत होगी। साथ ही, यह डेटा भविष्य में सोलर नीतियों के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
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