गुजरात के छोटा सा गांव चिखलदा ने अब इतिहास रच दिया है। सूरत स्थित Goldi Solar ने यहां हर एक इमारत की छत पर सोलर पैनल लगाकर इसे 100% सोलराइज्ड गांव बना दिया है। घर, स्कूल, सार्वजनिक स्थान, पानी की व्यवस्था—सब कुछ अब सोलर पावर से चलता है और सबसे खास बात यह है कि ये पूरा काम बिल्कुल मुफ्त किया गया है। अब गांव के लोगों को 24 घंटे स्थिर बिजली मिल रही है, जिससे न सिर्फ उनकी जिंदगी आसान हुई है बल्कि उनका खर्च भी काफी कम हो गया है।

AI-पावर्ड सोलर मॉड्यूल से बना गांव ‘स्मार्ट’
Goldi Solar ने इस प्रोजेक्ट में अपने AI-पावर्ड हाई-क्वालिटी सोलर मॉड्यूल का इस्तेमाल किया है, जो भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर तैनात किए गए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनी ये तकनीक पैनलों की एफिशिएंसी बढ़ाती है और लंबे समय तक लगातार बिजली उत्पादन सुनिश्चित करती है। कंपनी के चेयरमैन इशवर धोलकिया के मुताबिक, इस कदम से गांव पूरी तरह ऊर्जा आत्मनिर्भर हो गया है। यह पहल सरकार की PM-Surya Ghar Muft Bijli Yojana और PM-KUSUM Yojana के विजन के साथ मेल खाती है, जिसका मकसद ग्रामीण भारत में सस्ती और स्वच्छ बिजली पहुंचाना है।
ग्रामीण विकास का नया चेहरा
चिखलदा गांव की इस उपलब्धि ने पूरे देश के सामने एक मिसाल पेश की है कि कैसे तकनीक और सही योजना मिलकर ग्रामीण इलाकों को बदल सकती है। अब यहां के बच्चे बिना बिजली की चिंता के पढ़ाई कर सकते हैं, किसान अपने सिंचाई पंप चौबीसों घंटे चला सकते हैं और गांव में छोटे उद्योग भी शुरू होने लगे हैं। इससे न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि गांव की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। Goldi Solar का कहना है कि आने वाले समय में वे ऐसे और भी गांवों को ‘सोलर मॉडल विलेज’ बनाने का लक्ष्य रखते हैं, ताकि पूरे भारत में ग्रीन एनर्जी क्रांति को बढ़ावा दिया जा सके।
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