भारत सरकार की “पीएम सूर्यघर: मुफ्त बिजली योजना (PMSG: MBY)” के तहत जहां देशभर में एक करोड़ रूफटॉप सोलर प्लांट्स लगाने का लक्ष्य तय किया गया है, वहीं अब एक नया और बड़ा खतरा साइबर अटैक और डेटा चोरी का सामने आया है। इस योजना के तहत लगाए जा रहे इन्वर्टर और अन्य डिवाइसेज़ से जुड़ा डेटा अगर अनजान या विदेशी सर्वर पर पहुंचता है, तो इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा पर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। इसी को देखते हुए भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने सख्त साइबर सिक्योरिटी गाइडलाइंस लागू कर दी हैं।

विदेशी सर्वर से जुड़ना बन सकता है राष्ट्रीय खतरा
MNRE ने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि ऐसे इन्वर्टर कम्युनिकेशन मॉड्यूल्स जो भारत के बाहर स्थित सर्वर से डेटा भेजते हैं, वे न केवल अनधिकृत कंट्रोल का खतरा पैदा करते हैं, बल्कि राष्ट्रीय ऊर्जा संप्रभुता को भी चुनौती देते हैं। इन मॉड्यूल्स के माध्यम से भारत के लाखों घरों का पावर जनरेशन और कंजम्पशन डेटा विदेशी कंपनियों या हैकर्स के पास जा सकता है, जिससे न केवल निजी जानकारी लीक हो सकती है बल्कि बिजली व्यवस्था में भी गड़बड़ी की जा सकती है।
इन्वर्टर के जरिए ग्रिड फेल करने की साजिश संभव
सरकार की चिंता केवल डेटा चोरी तक सीमित नहीं है। मंत्रालय ने बताया कि लाखों इन्वर्टर अगर थर्ड पार्टी OEM सर्वर से जुड़े हों, तो उन्हें साइबर अटैक के जरिए एक साथ हैक कर ग्रिड फेल किया जा सकता है। इसका मतलब है कि एक बड़ी साजिश के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में बिजली सप्लाई रोकी जा सकती है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है। इसी कारण सरकार अब इन सभी सिस्टम्स की निगरानी अपने हाथ में लेना चाहती है।
अब हर डिवाइस को भारत सरकार के सर्वर से जोड़ना अनिवार्य
MNRE ने तय किया है कि अब योजना के तहत लगने वाले सभी इन्वर्टर, डोंगल और डेटा लॉगर में मशीन-टू-मशीन (M2M) सिम आधारित कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल अनिवार्य होगा। इसके साथ ही एक नेशनल सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है जो भारत में ही होस्ट होगा और MNRE या उसकी अधिकृत एजेंसी द्वारा संचालित किया जाएगा। यह प्लेटफॉर्म इन लाखों इन्वर्टर्स से जुड़ी गीगावॉट क्षमता की निगरानी करेगा। सभी कंपनियों को अपने डिवाइस इस सिस्टम से जोड़ने होंगे और 1 सितंबर 2025 से पहले इसका इंटीग्रेशन टेस्ट पूरा करना होगा।
15.45 लाख से अधिक घरों में पहले ही लग चुके हैं सोलर प्लांट्स
यह योजना फरवरी 2024 में शुरू हुई थी और अब तक देश के 15.45 लाख से ज्यादा घरों में रूफटॉप सोलर इंस्टॉल हो चुके हैं। लेकिन सरकार का लक्ष्य है एक करोड़ से अधिक घरों तक मुफ्त बिजली पहुंचाना। ऐसे में अगर डेटा सिक्योरिटी का सही ढंग से ध्यान नहीं रखा गया तो यह योजना अपने ही सिस्टम से खतरे में पड़ सकती है। इसलिए MNRE का यह कड़ा कदम न केवल वक्त की जरूरत है, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक अहम मोड़ भी साबित हो सकता है।
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