अब तक आपने यही सुना होगा कि सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली बनाते हैं, लेकिन अब विज्ञान ने एक और कमाल कर दिखाया है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा “Anti-Solar Panel” विकसित किया है जो दिन नहीं, बल्कि रात के अंधेरे में बिजली उत्पन्न करता है। यह तकनीक आने वाले समय में पूरे ऊर्जा सेक्टर का चेहरा बदल सकती है। जब पूरी दुनिया सो रही होती है, तब यह पैनल चुपचाप बिजली बनाता है और आपके पंखे, फ्रिज, बल्ब और चार्जर को चालू रखता है।

यह पैनल रात में कैसे बनाता है बिजली?
Anti-solar panel एक खास सिद्धांत पर काम करता है जिसे Thermo-radiative process कहा जाता है। दिन में जब सूर्य की गर्मी धरती की सतह को गर्म करती है, तो रात के समय यह गर्मी अंतरिक्ष में लौटने लगती है। Anti-solar पैनल इस “रिवर्स रेडिएशन” को पकड़ता है और उसे बिजली में बदल देता है। इसमें खास प्रकार के सेमीकंडक्टर उपयोग होते हैं जो इंफ्रारेड रेडिएशन को कैप्चर कर पावर जेनरेट करते हैं। मतलब अब बिजली सिर्फ दिन की धूप से ही नहीं, बल्कि रात की ठंडी हवा से भी पैदा हो सकती है।
कितनी बिजली बन सकती है इससे?
Stanford और UC Davis जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के शोध के अनुसार, Anti-solar पैनल फिलहाल एक वर्ग मीटर से करीब 50 वॉट तक की बिजली बना सकता है। यह सामान्य सोलर पैनल से कम जरूर है, लेकिन रात के समय के लिए यह एक बड़ी क्रांति है। अगर घर की छत पर 10 वर्ग मीटर का Anti-solar पैनल लगाया जाए, तो यह एक छोटे परिवार की रात की बेसिक जरूरतें जैसे पंखा, LED बल्ब, फोन चार्जिंग, वाई-फाई आदि आसानी से चला सकता है।
गांव, दूरदराज इलाकों और स्पेस में बन सकता है गेमचेंजर
यह तकनीक खासकर उन जगहों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है जहां दिन में तो सोलर पैनल बिजली बनाते हैं, लेकिन रात के लिए बैटरी स्टोरेज महंगा पड़ता है। Anti-solar पैनल सीधे रात में पावर देगा, जिससे बैटरी की लागत बचेगी। इसके अलावा, स्पेस मिशन में जहाँ सूरज की रोशनी कई दिनों तक नहीं होती है, वहाँ यह पैनल गेमचेंजर साबित हो सकता है। साथ ही यह तकनीक उन ग्रामीण इलाकों के लिए वरदान बन सकती है जहां बिजली की उपलब्धता सीमित है।
क्या यह भविष्य की मुख्य ऊर्जा तकनीक बन सकती है?
हालांकि अभी यह तकनीक रिसर्च और प्रोटोटाइप के स्टेज में है, लेकिन आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे इसकी एफिशिएंसी और उत्पादन लागत सुधरेगी, वैसे-वैसे इसका उपयोग बढ़ेगा। सोलर पैनल दिन में काम करेंगे और Anti-solar पैनल रात में – इस तरह 24 घंटे बिजली मिल सकेगी, वो भी बिना किसी फ्यूल या भारी बैटरी सिस्टम के। भारत जैसे उभरते देश में यह तकनीक ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी छलांग साबित हो सकती है।
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