Agri-Solar Panels: जापान ने बना दी ऐसी सोलर टेक्नोलॉजी जिससे बिजली भी मिलेगी और फसल भी नहीं होगी बर्बाद

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | August 7, 2025

जापान ने खेती और ऊर्जा उत्पादन को एक साथ जोड़कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी सोलर टेक्नोलॉजी विकसित की है जिसमें चावल के खेतों के ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो न केवल बिजली बनाते हैं बल्कि फसल को नुकसान भी नहीं पहुंचाते। इस इनोवेटिव सिस्टम में ड्यूल-एक्सिस सन-ट्रैकिंग सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है जो खेत से तीन मीटर की ऊँचाई पर लगाए जाते हैं। ये पैनल दिन और मौसम के हिसाब से अपनी दिशा और कोण बदलते रहते हैं, ताकि धूप की सही मात्रा फसलों को भी मिले और बिजली का उत्पादन भी लगातार होता रहे।

Agri-Solar Panels

एक साथ खेती और बिजली का उत्पादन – ये है असली गेमचेंजर

इस टेक्नोलॉजी की खास बात यह है कि यह जमीन के दोहरे उपयोग की सुविधा देती है। जहां आमतौर पर सोलर पैनल लगाने के लिए हजारों एकड़ जमीन की जरूरत होती है, वहीं इस सिस्टम में वही जमीन खेती के लिए भी इस्तेमाल होती है। जापान के नागानो प्रांत के मियाडा-मुरा गांव में दो साल तक हुए पायलट प्रोजेक्ट में जब यह तकनीक अपनाई गई, तो पहले साल खेतों की पैदावार 75% रही और दूसरे साल इसे 85% तक बढ़ा दिया गया। इतना ही नहीं, दोनों सालों में धान की गुणवत्ता जापान के टॉप ग्रेड के बराबर रही। इसका मतलब साफ है कि अगर सोलर पैनल का संचालन सही तरीके से किया जाए, तो ना तो फसल बर्बाद होती है और ना ही बिजली की क्वालिटी में कोई समझौता होता है।

बिजली उत्पादन में भी पीछे नहीं ये खेत

खेती के साथ-साथ इन पैनलों से हर साल करीब 44,000 किलोवॉट-घंटा बिजली का उत्पादन किया गया, जो यूरोप की अग्रिवोल्टिक परियोजनाओं के बराबर है। यह टेक्नोलॉजी न सिर्फ जमीन की बचत करती है, बल्कि किसानों को एक अतिरिक्त आय का जरिया भी देती है। बिना किसी सरकारी सब्सिडी के, इस बिजली की लागत लगभग 27 येन प्रति किलोवॉट-घंटा आती है, जो जापान के घरेलू बिजली दरों के आसपास है। जापान की पहाड़ी और सीमित फ्लैट जमीनों में यह टेक्नोलॉजी सोलर एनर्जी विस्तार का एक आदर्श समाधान बन सकती है।

भारत जैसे देशों में भी हो सकती है क्रांति

भारत जैसे देश जहां खेती पर बड़ी आबादी निर्भर है और बिजली की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है, वहां यह टेक्नोलॉजी एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। अगर इसे भारतीय खेतों में लागू किया जाए तो किसान बिजली बेचकर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं और देश को भी सस्टेनेबल एनर्जी की दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है। आने वाले समय में वैज्ञानिक इसमें AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का भी इस्तेमाल करने वाले हैं, जिससे पैनल्स मौसम, सूरज की दिशा और फसल की जरूरतों के अनुसार अपने आप एडजस्ट हो सकें। इससे उत्पादन क्षमता और बढ़ेगी और फसलों को और भी ज्यादा फायदा मिलेगा।

इस पूरी तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यही है कि ये खेती और ऊर्जा उत्पादन के बीच की लड़ाई को खत्म करती है। अब किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं रहेंगे, बल्कि ऊर्जादाता भी बन सकेंगे। जापान का यह मॉडल भविष्य की खेती की झलक है और अगर इसे सही से अपनाया गया, तो यह पूरी दुनिया में खेती और ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

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