भारत ने क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 2014 में जहां देश की सोलर फोटोवोल्टाइक (PV) मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता सिर्फ 2.3 गीगावॉट (GW) थी, वहीं अब यह बढ़कर 100 GW के पार पहुंच गई है। यह उपलब्धि Approved List of Models and Manufacturers (ALMM) के तहत दर्ज की गई है और यह देश के लिए आत्मनिर्भर सोलर मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा कदम है। यूनियन मिनिस्टर फॉर न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी प्रह्लाद जोशी ने इस मौके को “ऐतिहासिक” बताते हुए इसका श्रेय सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को दिया।

सरकार की नीतियों का बड़ा रोल
इस तेज़ ग्रोथ के पीछे सरकार की नीतियों का अहम योगदान रहा है। जनवरी 2019 में MNRE ने ALMM फ्रेमवर्क की शुरुआत की, जिसका मकसद क्वालिटी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना था। मार्च 2021 में जारी पहली लिस्ट में सिर्फ 21 मैन्युफैक्चरर्स के पास 8.2 GW की क्षमता थी, लेकिन महज चार साल में यह क्षमता 12 गुना बढ़कर 100 GW हो गई है। आज 100 मैन्युफैक्चरर्स 123 फैक्ट्रियों के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें हाई-एफिशिएंसी और वर्टिकली इंटीग्रेटेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
घरेलू उत्पादन और एक्सपोर्ट का दम
भारत की यह क्षमता न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि अब देश वैश्विक सोलर सप्लाई चेन में भी एक अहम खिलाड़ी बन चुका है। बड़ी कंपनियों से लेकर नए स्टार्टअप्स तक, सभी इस क्रांति का हिस्सा हैं। हाई-एफिशिएंसी सोलर मॉड्यूल्स का उत्पादन करने से भारत अब न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी मजबूत पोजीशन हासिल कर रहा है। इससे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ-साथ 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल क्षमता का टारगेट हासिल करने में भी मदद मिलेगी।
भविष्य के लिए रोडमैप
MNRE ने साफ कर दिया है कि यह ग्रोथ यहीं नहीं रुकने वाली। मंत्रालय इंडस्ट्री और राज्य सरकारों के साथ मिलकर पॉलिसी सपोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और इनोवेशन पर काम करता रहेगा। लक्ष्य यह है कि भारतीय सोलर सेक्टर न केवल घरेलू जरूरतों के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धी और फ्यूचर-रेडी बना रहे। इस उपलब्धि ने दुनिया को साफ संदेश दिया है कि भारत सोलर पावर में सुपरपावर बनने की राह पर है।
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