दुनिया में सोलर टेक्नोलॉजी तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने इस दौड़ में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज की एक टीम ने ऐसा मटेरियल तैयार किया है, जो ऑर्गेनिक सोलर सेल्स की एफिशिएंसी और मजबूती दोनों को नई ऊंचाई पर ले जाता है। यह मटेरियल ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक पदार्थों के मेल से तैयार किया गया है, जिससे इसकी इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ है, स्ट्रक्चरल डिफेक्ट्स कम हुए हैं और सोलर सेल्स की स्टेबिलिटी कई गुना बढ़ गई है।

रिकॉर्डतोड़ 21% एफिशिएंसी
लैब टेस्ट में इस नए मटेरियल ने 21% की अविश्वसनीय एफिशिएंसी हासिल की है, जबकि इसका सर्टिफाइड रिजल्ट 20.8% है। यह ऑर्गेनिक सोलर सेल्स की दुनिया में एक नया बेंचमार्क माना जा रहा है, क्योंकि अब तक इस कैटेगरी में इतनी हाई एफिशिएंसी पाना बेहद मुश्किल था। उच्च एफिशिएंसी का मतलब है ज्यादा बिजली, कम पैनल और लंबे समय तक भरोसेमंद परफॉर्मेंस।
एक्सट्रीम कंडीशंस में भी टिकाऊ
रिसर्च टीम का कहना है कि यह मटेरियल फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स, वियरेबल डिवाइसेज, स्मार्ट टेक्सटाइल्स और यहां तक कि एयरोस्पेस प्रोजेक्ट्स में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी फोटोस्टेबिलिटी और मैकेनिकल रेज़िलिएंस इतनी मजबूत है कि यह बेहद कठिन मौसम और स्पेस जैसी परिस्थितियों में भी अपनी परफॉर्मेंस बनाए रख सकता है। इससे आने वाले समय में हल्के, मोड़े जा सकने वाले और अधिक टिकाऊ सोलर डिवाइसेज बनाना संभव होगा।
अंतरिक्ष से धरती तक नए उपयोग
दिलचस्प बात यह है कि यह खोज ऐसे समय में हुई है, जब चीन की स्पेस एजेंसी चांग’ई-5 और चांग’ई-6 मिशन से लाए गए चंद्रमा के सैंपल्स पर रिसर्च की इजाजत दे चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए सोलर मटेरियल से भविष्य में ऐसे पैनल तैयार हो सकते हैं, जो स्पेस मिशन और सैटेलाइट्स में बिजली उत्पादन का तरीका पूरी तरह बदल दें। धरती पर यह तकनीक बिजली की लागत को घटाकर सौर ऊर्जा को और अधिक सुलभ बना सकती है।
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