भारत की जानी-मानी इंजीनियरिंग कंपनी Larsen & Toubro (L&T) को बिहार में एक मेगा प्रोजेक्ट का ठेका मिला है, जिसमें कंपनी को एक विशाल सोलर प्लांट और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) तैयार करना है। यह प्रोजेक्ट बिहार के लखीसराय जिले के कजरा में लगाया जाएगा, जहाँ कुल 116 मेगावाट AC क्षमता वाला ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा। इस प्लांट के साथ एक विशाल 241 MWh की बैटरी स्टोरेज सुविधा भी जोड़ी जा रही है, जो इसे देश का सबसे बड़ा सोलर+बैटरी संयंत्र बना देगा। यह प्लांट दिन के समय सूर्य की रोशनी से बिजली बनाएगा और उस अतिरिक्त बिजली को बैटरी में संग्रहित करके रात या बिजली की अधिक मांग के समय सप्लाई करेगा।

L&T को मिला ₹2500 करोड़ तक का मेगा ऑर्डर
L&T को मिला यह प्रोजेक्ट “Significant Order” की श्रेणी में आता है, जिसका मूल्य ₹1000 करोड़ से ₹2500 करोड़ के बीच है। कंपनी के अनुसार यह परियोजना पहले से जारी कार्य का विस्तार है और इसके साथ अब लखीसराय में कुल 495 MWh की को-लोकेटेड स्टोरेज कैपेसिटी हो जाएगी। यह भारत में किसी भी राज्य सरकार द्वारा दिया गया अब तक का सबसे बड़ा Renewable Storage प्रोजेक्ट है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार अब न सिर्फ ऊर्जा उत्पादन में बल्कि ऊर्जा संग्रहण (स्टोरेज) की क्षमता में भी देश में अग्रणी राज्य बनने की ओर बढ़ रहा है।
राज्य को मिलेंगे कई फायदे, लोगों को मिलेगी राहत
इस मेगा प्रोजेक्ट के जरिए बिहार को बिजली कटौती की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है। सोलर प्लांट और बैटरी स्टोरेज सिस्टम के एक साथ संचालन से राज्य की बिजली आपूर्ति पहले से कहीं अधिक स्थिर हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में जहां अक्सर बिजली की उपलब्धता बाधित रहती है, वहाँ अब सस्ती, हरित और निर्बाध बिजली पहुँचेगी। साथ ही, इस तरह के प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करेंगे और राज्य को ग्रीन एनर्जी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होंगे।
शेयर बाजार में भी दिखा असर, बढ़ी दिलचस्पी
इस बड़ी घोषणा के बाद Larsen & Toubro के शेयर बाजार में भी हलचल देखी गई। 4 अगस्त को रात 11:23 बजे तक BSE पर कंपनी के शेयर ₹3626 प्रति यूनिट पर ट्रेड कर रहे थे, जिससे निवेशकों में इस प्रोजेक्ट को लेकर विश्वास झलकता है। एलएंडटी का यह कदम भारत में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा देगा और आने वाले समय में दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है। यह प्रोजेक्ट केवल तकनीकी दृष्टि से नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की क्षमता रखता है।