भारत में सोलर एनर्जी सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। 28 जुलाई 2025 को MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) ने ALMM (Approved List of Models and Manufacturers) से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है। नए नियमों के अनुसार अब 1 जून 2026 से सोलर प्रोजेक्ट्स में ALMM लिस्ट में शामिल घरेलू सोलर सेल्स का उपयोग अनिवार्य होगा। अगर आपका सोलर प्रोजेक्ट इस तारीख के बाद चालू होता है, तो आपको Approved List of Cell Manufacturers (ALCM) से ही सोलर सेल खरीदने होंगे। यह कदम भारत में सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने के मकसद से उठाया गया है।

1 जून 2026 से लागू होंगे सख्त नियम
MNRE ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही ALMM List-II (सोलर सेल्स के लिए) पब्लिश होगी, उसके एक महीने बाद से यह नियम लागू हो जाएंगे। उदाहरण के लिए, अगर यह लिस्ट 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होती है, तो कट-ऑफ डेट 1 सितंबर 2025 मानी जाएगी और इसके बाद के बिड किए गए प्रोजेक्ट्स को ALMM सेल्स का उपयोग करना ही होगा। हालांकि, जिन प्रोजेक्ट्स की बिडिंग 9 दिसंबर 2024 से पहले पूरी हो चुकी है, उन्हें इस अनिवार्यता से छूट मिलेगी, भले ही उनकी कमिशनिंग डेट 1 जून 2026 के बाद क्यों न हो।
सरकारी बनाम निजी प्रोजेक्ट्स को लेकर नियमों में अंतर
सरकार ने एक ओर जहां सरकारी योजनाओं जैसे कि PM-KUSUM, PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana और CPSU Scheme Phase-II में Domestic Content Requirement (DCR) को यथावत रखा है, वहीं Net-metering और Open Access जैसे प्राइवेट प्रोजेक्ट्स को लेकर नियमों को सख्त कर दिया है। यानी सरकारी प्रोजेक्ट्स को ट्रांजिशन के लिए थोड़ी राहत दी गई है लेकिन प्राइवेट प्रोजेक्ट्स को अब ALMM की बाध्यता का पालन करना होगा। इससे संकेत मिलता है कि सरकार अब निजी क्षेत्र की छूटों को सीमित करने की दिशा में बढ़ रही है।
ALMM के पीछे सरकार का उद्देश्य क्या है?
ALMM का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत में लगने वाले सोलर प्रोजेक्ट्स में केवल उच्च गुणवत्ता और भरोसेमंद कंपनियों के मॉड्यूल और सेल्स का ही इस्तेमाल हो। इससे न केवल कंज्यूमर को फायदा होगा बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी। सरकार का कहना है कि यह बदलाव डेवलपर्स और EPC कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए ट्रांजिशन को आसान बनाएगा और सोलर सेल्स के घरेलू निर्माण को भी गति देगा। वर्तमान में भारत की सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 27 GW है, जबकि मॉड्यूल उत्पादन 91 GW तक पहुंच चुका है। यह अंतर आने वाले समय में ALMM के तहत कम करने की योजना है।
अब क्या करें सोलर डेवलपर्स?
अगर आप सोलर डेवलपर हैं और सरकारी या प्राइवेट प्रोजेक्ट्स में निवेश करना चाहते हैं, तो यह समय काफी महत्वपूर्ण है। बेहतर होगा कि 1 जून 2026 से पहले अपना प्रोजेक्ट चालू कर लें ताकि ALMM की बाध्यता से बचा जा सके। अगर आपने बिडिंग पहले ही कर दी है, तो राहत मिल सकती है, लेकिन अगर आप कट-ऑफ डेट के बाद कोई नया प्रोजेक्ट प्लान कर रहे हैं, तो घरेलू सोलर सेल्स का उपयोग करना आपकी मजबूरी होगी। इससे लागत बढ़ सकती है और प्रोजेक्ट की टाइमिंग पर असर पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि डेवलपर्स समय रहते रणनीति बनाएं और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। इस बदलाव से निश्चित रूप से भारत की सोलर इंडस्ट्री में बड़ा असर देखने को मिलेगा।
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