गुजरात की धरती एक बार फिर नई ऊर्जा क्रांति की गवाह बनने जा रही है। गुजरात बेस्ड कंपनी Atal Solar ने ऐलान किया है कि वह राजकोट में ₹125 करोड़ की लागत से एक 1 GW क्षमता वाली पूरी तरह से ऑटोमेटेड सोलर मॉड्यूल फैक्ट्री लगाएगी। यह फैक्ट्री आधुनिकतम TOPCon तकनीक से युक्त होगी और दिसंबर 2025 से अपना संचालन शुरू कर देगी। इस परियोजना के लिए कंपनी ने मैन्युफैक्चरिंग उपकरण SC Solar से ऑर्डर कर दिए हैं। कंपनी के डायरेक्टर प्रयाग वंशलिया ने बताया कि यह यूनिट न केवल वर्तमान में प्रचलित TOPCon मॉड्यूल्स बनाएगी बल्कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए HJT और Back Contact जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों के लिए भी पूरी तरह से तैयार होगी।

फैक्ट्री में इंसानों से तेज़ काम करेंगे रोबोट
यह सोलर प्लांट देश की पहली ऐसी यूनिट होगी, जिसमें इंसानों की जगह कई महत्वपूर्ण काम रोबोट्स और ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी से किए जाएंगे। इस अत्याधुनिक फैक्ट्री में रोबोटिक आर्म्स सेल की प्लेसमेंट, सोल्डरिंग और मटेरियल ट्रांसफर जैसी जटिल प्रक्रियाओं को बेहद सटीकता से अंजाम देंगे। साथ ही, IoT और सेंसर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर मशीनों की परफॉर्मेंस, ऊर्जा खपत और तापमान जैसी जानकारियां रियल-टाइम में मॉनिटर की जाएंगी। हाई-रेजोल्यूशन कैमरे हर सोलर मॉड्यूल को माइक्रोस्कोपिक स्तर पर स्कैन करेंगे ताकि कोई भी छोटी से छोटी खराबी न छूटे। पूरी फैक्ट्री को Manufacturing Execution System (MES) के ज़रिए एकीकृत किया जाएगा, जिससे क्वालिटी कंट्रोल रियल टाइम में होगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक 500 GW गैर-पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करना है, जिसमें बड़ा योगदान सोलर पावर का होगा। Atal Solar का यह प्लांट इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। प्रयाग वंशलिया के अनुसार, आने वाले 3 से 5 वर्षों में भारत में वर्टिकली इंटीग्रेटेड सोलर कंपनियों की संख्या बढ़ेगी, जो सिलिकॉन वेफर से लेकर पैनल असेंबली तक की पूरी प्रक्रिया खुद करेंगी। इससे लागत में कमी आएगी और एफिशिएंसी में सुधार होगा। साथ ही, सरकार द्वारा मिल रही R&D सहायता, फाइनेंसिंग विकल्प और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों से यह सेक्टर और अधिक निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
भविष्य की प्लानिंग और आत्मनिर्भरता की तैयारी
Atal Solar की योजना अगले 1 साल में मॉड्यूल निर्माण क्षमता को बढ़ाने और सेल लाइन की प्लानिंग शुरू करने की है। मीडियम टर्म (1-3 साल) में कंपनी पायलट प्रोडक्शन और सेल लाइन कमिशनिंग शुरू करेगी, जबकि लॉन्ग टर्म (3-5 साल) में स्टोरेज मैन्युफैक्चरिंग और वेफर निर्माण की दिशा में विस्तार होगा। भारत की कोशिश है कि चीन पर निर्भरता कम की जाए और देश में ही सिलिकॉन, एल्युमिनियम, इनवर्टर और बैटरी जैसे कच्चे माल का उत्पादन शुरू किया जाए। ऐसे में Atal Solar जैसे प्रोजेक्ट भारत को सोलर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
यह भी पढ़े – 👉 Quantum Dot Solar Panel: पहली बार किसी पैनल में लगी ऐसी नैनो टेक्नोलॉजी, बिजली बचत होगी डबल!