नई दिल्ली, जुलाई 2025 – पीएम सूर्यघर योजना के तहत केंद्र सरकार ने फंड ट्रांसफर प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है। Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) ने योजना के एक अहम हिस्से “Incentive to Local Bodies” को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। अब तक की प्रक्रिया में जहां तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही थीं, वहीं नए फॉर्मूले से उम्मीद है कि योजना की गति और प्रभाव दोनों बढ़ेगा। यह बदलाव खास तौर पर उन राज्यों और स्थानीय निकायों के लिए राहत लेकर आया है जो अब तक पोर्टल पर अकाउंट वेरिफिकेशन जैसी जटिलताओं से जूझ रहे थे।

पहले कैसे ट्रांसफर होता था फंड?
पहले के नियमों के तहत शहरी निकायों (ULBs) और पंचायती संस्थानों (PRIs) को अपनी बैंक डिटेल्स सीधे नेशनल पोर्टल पर अपलोड करनी होती थीं। या फिर इनकी जानकारी e-Gram Swaraj API, Ministry of Housing and Urban Affairs या संबंधित राज्य एजेंसियों के डेटाबेस से इंटीग्रेट की जाती थी। लेकिन इस प्रोसेस में तकनीकी खामियों और डेटा सिंक्रोनाइजेशन में गड़बड़ियों की वजह से कई बार भुगतान में देरी होती थी। इस वजह से कई ज़मीनी स्तर पर काम कर रही संस्थाएं फंड समय पर नहीं प्राप्त कर पा रही थीं, जिससे रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन का काम धीमा पड़ रहा था।
अब क्या है नया फॉर्मूला?
अब MNRE ने Clause 6(c) में संशोधन करते हुए नई प्रक्रिया लागू कर दी है। इसके अनुसार, अब National Programme Implementation Agency (NPIA) सीधे फंड ट्रांसफर करेगी – लेकिन राज्य सरकारों की SIAs (State Implementation Agencies) के माध्यम से। यह फंडिंग इस बात पर आधारित होगी कि राज्य में कितने रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन पूरे किए गए हैं। इसके बाद SIA के पास यह जिम्मेदारी होगी कि वह 60 दिनों के भीतर यह राशि स्थानीय निकायों यानी ULBs और PRIs तक पहुंचाए। इस संशोधन को Competent Authority से मंजूरी भी मिल चुकी है।
इससे क्या फायदा होगा?
इस बदलाव से राज्य सरकारों को अधिक जिम्मेदारी और अधिकार मिलेगा, जिससे योजना के क्रियान्वयन में गति आएगी। फंड सीधे राज्यों को मिलने से अब केंद्र और स्थानीय निकायों के बीच की लंबी प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। इससे न केवल भुगतान में पारदर्शिता आएगी, बल्कि गड़बड़ियों और देरी की संभावनाएं भी काफी कम हो जाएंगी। साथ ही राज्य सरकारें अब अपने स्तर पर इंस्टॉलेशन ट्रैक कर फंड ट्रांसफर को बेहतर ढंग से मैनेज कर पाएंगी।
ग्राउंड लेवल पर असर कैसा होगा?
ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर काम कर रही संस्थाओं के लिए यह बदलाव गेमचेंजर साबित हो सकता है। क्योंकि अब उन्हें नेशनल पोर्टल की तकनीकी उलझनों में फंसने की जरूरत नहीं पड़ेगी। SIA द्वारा मिलने वाली राशि से वे सोलर प्रोजेक्ट्स पर तुरंत काम शुरू कर पाएंगे। इससे पीएम सूर्यघर योजना के अंतर्गत “हर घर सूरज” का सपना और तेजी से साकार होगा। अब राज्य सरकारों के पास पूरी कमान होगी, जिससे वो योजना को अपने राज्य के हिसाब से बेहतर रणनीति के साथ लागू कर सकेंगी। कुल मिलाकर, यह नया फंड रूट केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल और तेज डिलीवरी का रास्ता खोलता है।
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