प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना” ने उत्तराखंड में ऊर्जा क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। राज्य में अब तक 37,400 घरों की छतों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं, जिससे हजारों परिवारों को बिजली के बिलों में बड़ी राहत मिली है। उत्तराखंड ऊर्जा निगम इस योजना को मिशन मोड में चला रहा है और राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। खास बात यह है कि यह लक्ष्य तय समय सीमा से पहले ही पूरा होने की ओर है, जो राज्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

हर घंटे लग रहे सोलर प्लांट, 140 मेगावाट का उत्पादन
ऊर्जा निगम का दावा है कि अब तक लगे रूफटॉप सोलर संयंत्रों की कुल स्थापित क्षमता 140 मेगावाट से अधिक हो चुकी है। हर दिन सैकड़ों घरों में सोलर संयंत्र लगाए जा रहे हैं, यानी लगभग हर घंटे एक नया सोलर सिस्टम चालू हो रहा है। इससे न केवल बिजली का स्थानीय उत्पादन बढ़ा है बल्कि ग्रिड पर भी लोड कम हुआ है। यह पर्यावरण के लिहाज से भी एक बड़ा कदम है, क्योंकि अब ज्यादा से ज्यादा लोग स्वच्छ ऊर्जा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह पूरी पहल प्रधानमंत्री मोदी के ‘हर घर स्वच्छ और सस्ती बिजली’ के विज़न को मजबूती देती है।
₹273 करोड़ की सब्सिडी बांटी गई, पारदर्शिता बनी प्राथमिकता
इस योजना के तहत अब तक 33,000 से अधिक लाभार्थियों को कुल ₹273 करोड़ की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। उपभोक्ताओं को संयंत्र की पूरी लागत का भुगतान नहीं करना पड़ता, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। 1 किलोवाट के संयंत्र पर ₹33,000 केंद्रांश और ₹17,000 राज्यांश मिलाकर ₹50,000 की पूरी सब्सिडी दी जाती है। इसी तरह 2 किलोवाट पर ₹1 लाख और 3 किलोवाट पर ₹1.36 लाख तक की सब्सिडी मिलती है। योजना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए 600 से अधिक वेंडर्स को अधिकृत किया गया है, जिनकी सूची राष्ट्रीय पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
उपभोक्ता बन रहे ऊर्जा क्रांति का हिस्सा
ऊर्जा निगम ने सभी उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे इस योजना में भाग लेकर उत्तराखंड को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करें। इससे न केवल व्यक्तिगत लाभ मिलेगा बल्कि राज्य भी हरित विकास की ओर अग्रसर होगा। सौर संयंत्र लगवाने के बाद उपभोक्ता ग्रिड से कम बिजली लेते हैं और कई मामलों में अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर कमाई भी कर सकते हैं। यह योजना ग्रामीण और शहरी – दोनों इलाकों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति सीमित है।
रख-रखाव और प्रभाव पर चल रहा अध्ययन
ऊर्जा निगम ने काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) के साथ मिलकर एक अध्ययन भी शुरू किया है। इस अध्ययन का उद्देश्य राज्य में लगे सोलर संयंत्रों की उत्पादन क्षमता, रख-रखाव और परिचालन स्थिति का मूल्यांकन करना है। इससे उपभोक्ताओं को अधिकतम लाभ देने की दिशा में सुधार किए जाएंगे और सौर ऊर्जा के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी। यह पहल यह सुनिश्चित करेगी कि हर संयंत्र पूरी क्षमता से काम करे और लंबे समय तक टिकाऊ बना रहे।
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